
मुंगेली – 07 / 08 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरूवात हो रही है। यह 15 दिनों तक चलेगा। ये 15 दिनो की अवधि है, जो पितरों को समर्पित है। जिसको लेकर लोक अब तैयारिया प्रारंभ करने लगे है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इन 15 दिन पितृ अपने परिवार को आशीर्वाद देने का लिए धरती पर आते हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण आदि कार्य किए जाते हैं। कहा जाता है कि विधि विधान से पितरों के नाम से तर्पण आदि करने से वंश की वृद्धि होती है और पितरों के आशीर्वाद से व्यक्ति को सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
क्या है नियम तर्पण का – श्राद्ध पक्ष के दौरान किये जाने वाले नियमो लेकर आचार्य संतोष पाठक ने बताया कि ब्राम्हणो का श्राद्ध पक्ष पूर्णिमा से प्रारंभ होता है। जो अमावश्या तक चलता है। वही अन्य लोग प्रथमा तिथि से श्राद्ध पक्ष की शुरूवात करते है। चुकि पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है। जिसका सूचत लगभग 12.56 मिनट से प्रारंभ होगा । जिसके लिए सूतक पूर्व तपर्ण करना चाहिए । तर्पण के लिए दोपहर का समय सबसे उत्तम माना जाता है। तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करें। दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है। तर्पण करते समय जनेऊ को दाएं कंधे पर रखें। अगर आप जनेऊ नहीं पहनते हैं, तो शरीर के ऊपरी हिस्से को कपड़े से ढक लें। तर्पण के लिए एक तांबे का पात्र लें। इसमें जल, दूध, काले तिल और जौ मिलाएं। अपने हाथों से अंजलि बनाकर तीन बार जल अर्पित करें। हर बार मंत्र का जाप करें। इस दौरान पवित्रता का पूरा ख्याल रखें। किसी जानकारी पुरोहित से अच्छी तरह पितृ पक्ष के सभी अनुष्ठान की जानकारी लेकर ही उसे पूर्ण करें।
श्राद्ध पक्ष की तिथियां – 7 सितंबर 2025 पूर्णिमा श्राद्ध, 8 सितंबर 2025 प्रतिपदा श्राद्ध, 9 सितंबर 2025 द्वितीया श्राद्ध, 10 सितंबर 2025 तृतीया श्राद्ध और चतुर्थी श्राद्ध, 11 सितंबर 2025 पंचमी श्राद्ध 12 सितंबर 2025 षष्ठी श्राद्ध, 13 सितंबर 2025 सप्तमी श्राद्ध, 14 सितंबर 2025 अष्टमी श्राद्ध 15 सितंबर 2025 नवमी श्राद्ध, 16 सितंबर 2025 दशमी श्राद्ध, 17 सितंबर 2025 एकादशी श्राद्ध 18 सितंबर 2025 द्वादशी श्राद्ध, 19 सितंबर 2025 त्रयोदशी श्राद्ध, 20 सितंबर 2025 चतुर्दशी श्राद्ध , 21 सितंबर 2025 सर्वपितृ अमावस्या
पितरों की पसंद का भोजन – हिंदू धर्म के अनुसार जिस तिथि को पितरों की मृत्यु होती है उस तिथि को पितरों का श्राद्ध किया जाता है तथा पितरों का आह्वान किया जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष के पखवाड़े में पितर कौए के रूप में आकर अपने परिवार के लोगों के द्वारा आह्वान करने पर भोजन ग्रहण करते हैं। श्राद्ध के दिन पितरों की पसंद का भोजन तैयार किया जाता है तथा पितरों के लिए थाली में भोजन और पानी छत या घरों की दीवार पर रखा जाता है। पितृ पक्ष के पूरे पखवाड़े में भोजन के तैयार होने के बाद एक ब्राह्मण, गाय तथा कौए के लिए एक-एक थाली सबसे पहले निकाले जाने का नियम है।
